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लेखनी प्रतियोगिता -23-Feb-2024" कमाल कर गई "

"कमाल कर गई"

तेरी तस्वीर देख नज़रों में रंग-ए-बहार छा गई। 

तू आया ऐसे झूम कर कि ज़िंदगी से मोहब्बत, बेशुमार हो गई।। 


तकदीर का क्या फ़साना वो हार के झुक गई। 

ना झुकने दिया ख़ुद को, ये देख लोगो को रफा़क़त हो गई।। 


बदन कैद था चिथड़ों में मग़र होठों की मुस्कान गज़ब कर गई। 

काँटों से घिरे थे फूल मग़र उनकी ख़ुशबू कमाल कर गई।।

मधु गुप्ता "अपराजिता" 

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5 Comments

Gunjan Kamal

04-Apr-2024 01:59 AM

👌🏻👏🏻

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Mohammed urooj khan

24-Feb-2024 12:58 PM

👌🏾👌🏾👌🏾

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Babita patel

24-Feb-2024 11:47 AM

V nice

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